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देसी और हाइब्रिड टमाटर में क्या हैं अंतर, जाने क्यों बढ़ रही है देसी टमाटर की मांग

देसी और हाइब्रिड टमाटर में क्या हैं अंतर, जाने क्यों बढ़ रही है देसी टमाटर की मांग

आजकल हम भले ही किसी ठेले से सब्जियां खरीद रहे हों या फिर किसी वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन सब्जियों की डिलीवरी करवाना चाहते हैं। 

दोनों ही जगह हमें दो तरह के टमाटर देखने को मिलते हैं। हमें हाइब्रिड और देसी दो तरह के टमाटर का विकल्प मिलता है, यह दोनों हैं तो टमाटर ही फिर इन दोनों में क्या अंतर है?

अगर मांग की बात करें तो देसी टमाटर आजकल ज्यादा पसंद किए जाते हैं।

क्या है देसी और हाइब्रिड टमाटर में अंतर

टमाटर किसी भी सब्जी के स्वाद में चार चांद लगा देते हैं, इसके अलावा सूप आदि में भी टमाटर बहुत पसंद किया जाता है। ऐसे में हमें जानने की जरूरत है, कि देसी और हाइब्रिड टमाटर में आखिर अंतर क्या है। 

दोनों हैं तो टमाटर ही लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इन दोनों ही किस्म में जमीन आसमान का अंतर है। अगर आप देसी टमाटर की पहचान करना चाहते हैं, तो आप उसके रंग से उसकी पहचान कर सकते हैं। 

यह टमाटर एकदम लाल नहीं होता है, बल्कि हल्का पीला और हरा सा नजर आता है। कभी कभी देखने में लगता है, कि जैसे टमाटर पका हुआ नहीं है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है, 

यह टमाटर सब्जी को या किसी भी देश को एक हल्का खट्टा मीठा टेस्ट देता है और यह रस से भरा हुआ होता है। साथ ही यह काफी पौष्टिक भी माना जाता है।

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वहीं पर हाइब्रिड टमाटर बड़े बड़े आकार के होते हैं और एकदम टाइट होते हैं। इनका रंग सुर्ख लाल होता है और इन को दबाने पर ऐसा लगता है, जैसे इनमें कोई रस नहीं है। 

अगर स्वास्थ्य की दृष्टि से देखा जाए तो यह टमाटर ज्यादा अच्छा नहीं माना जाता है। यह लंबे समय तक चल तो जाते हैं, लेकिन इनके ऊपर का छिलका आदि सख्त होने के कारण यह स्वास्थ्य को कई तरह की हानियां पहुंचा सकते हैं।

क्यों है देसी टमाटर ज्यादा मांग में

अगर देसी और हाइब्रिड दोनों तरह के टमाटर की तुलना की जाए तो आजकल देसी टमाटर ज्यादा डिमांड में है पर इसका कारण है।

  • देसी टमाटर हाइब्रिड टमाटर के मुकाबले ज्यादा अच्छा स्वाद देते हैं, इनमें रस होता है जो किसी भी डिश में चार चांद लगा देता है।
  • देसी टमाटर हाइब्रिड टमाटर के मुकाबले स्वास्थ्य के लिए ज्यादा लाभकारी होते हैं और डॉक्टर आदि भी आजकल देसी या ऑर्गेनिक टमाटर खाने की ही सलाह देते हैं।
  • देसी टमाटर की कीमत हाइब्रिड टमाटर से कम होती है, तो ऐसे में अगर लोगों को सस्ते में अच्छी चीज मिलेगी तो उसकी डिमांड बढ़ना लाजमी है।

भारत में मिलने वाली देसी टमाटर की नस्ल

काशी अमृत, काशी विशेष, काशी हेमंत, काशी शरद, काशी अनुपम और काशी अभिमा, ये 6 तरह की किस्म भारत में काफी लोकप्रिय हैं।

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छत्तीसगढ़, ओड़िसा, आंध्रप्रदेश और एमपी के किसान काशी हेमंत को उगाना पसंद करते हैं। वहीं, पहाड़ी क्षेत्रों में किसानों की पहली पसंद काशी शरद है। 

जबकि, गरम जलवायु के क्षेत्र माने जाने वाले हरियाणा, राजस्थान और गुजरात के किसान काशी अनुपम को अपनी पहली पसंद मानते हैं। काशी विशेष टमाटर एक ऐसी किस्म है, जो हर जगह उगाई जा सकती है।

किसान ने टमाटर का उचित दाम ना मिलने की वजह से सड़क पर फेंक दिए टमाटर

किसान ने टमाटर का उचित दाम ना मिलने की वजह से सड़क पर फेंक दिए टमाटर

टमाटर उत्पादन करने वाले किसानों को उनकी फसल का समुचित भाव नहीं प्राप्त हो रहा है। इसकी वजह से औरंगाबाद जनपद के एक नवयुवक किसान बेहद परेशान और हताश होकर टमाटर को बाजार विक्रय हेतु ले जाने की अपेक्षा सड़कों पर फेंकना उचित समझ रहा है। युवा किसान ने बताया है, कि इतने कम मूल्य पर लागत तक नहीं निकल पायेगी। महाराष्ट्र राज्य में कृषकों की दिक्कत समाप्त ही नहीं हो पा रही है। कभी बेमौसम बारिश और कभी-कभी उपज का समुचित मूल्य नहीं प्राप्त हो पाता है। बीते सात माह से प्याज के किसानों को बेहद कम मूल्य अर्जित हो रहा है। साथ ही, फिलहाल टमाटर के भाव में भी काफी गिरावट हो गयी है। प्रदेश के औरंगाबाद जनपद में वडजी गांव निवासी एक किसान टमाटर को सड़कों पर फेंकना उचित समझ रहा है। किसान का कहना है, कि बाजार में टमाटर का मूल्य 100 रुपये प्रति क्विंटल प्राप्त हो रहा हैं। अब ऐसे में फसल पर किया गया खर्च भी नहीं निकल सकता इसलिए वह टमाटर सड़कों पर ही फेंकना सही समझ रहा है।
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बतादें, कि किसानों ने बीते कुछ माह से प्राकृतिक आपदाओं की वजह से निरंतर नुकसान का सामना किया है। फिलहाल सब्जियों एवं फसलों के मूल्यों में कमी होने की वजह से आर्थिक रूप से बेहद कमजोर होते जा रहे हैं। टमाटर का उचित भाव न प्राप्त होने पर हताश किसान टमाटरों को सड़क पर फेकने के लिए मजबूर हो गया था।

किसान ने अपनी समस्या को बताया

औरंगाबाद के पैठण तालुक के वाडजी गांव निवासी युवा किसान कैलास बॉम्बले का कहना है, कि उन्होंने स्वयं के एक एकड़ खेत में टमाटर लगाया था। इस दौरान जब टमाटर की प्रथम खेप तैयार होने के बाद किसान टमाटर का विक्रय करने हेतु पैठन बाजार ले जाने का निर्णय लिया गया। परंतु जब उन्हें मालूम हुआ कि, बाजार में टमाटर पर केवल 100 रुपये प्रति क्विंटल से लेकर 200 रुपये प्रति क्विंटल का भाव प्राप्त हो रहा है। बेहद निराशा और हताशा की वजह से किसान ने टमाटरों को सड़क पर ही फेंक दिया। किसान कैलास बॉम्बले ने कहा है, कि इतनी कम कीमत मिल रही है, जिसमें से लागत तक निकाल पाना बेहद मुश्किल है।

जानें कौन-सी मंडी में क्या भाव मिल रहा है

महाराष्ट्र राज्य की चंद्रपुर की मंडी में 20 दिसंबर को 365 क्विंटल टमाटर विक्रय हेतु आये। टमाटर का न्यूनतम दाम 200 रुपये प्रति क्विंटल एवं अधिकतम दाम 400 रुपये प्रति क्विंटल था। वहीं औसतन भाव 300 रुपये प्रति क्विंटल रहा था। राउरि में 36 क्विंटल टमाटर विक्रय हेतु आये। न्यूनतम मूल्य 200 रुपये प्रति क्विंटल एवं अधिकतम मूल्य 800 रुपये प्रति क्विंटल था। वहीं, औसत भाव 600 रुपये प्रति क्विंटल रहा था।
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रहता में 78 क्विंटल टमाटर विक्रय हेतु आये। न्यूनतम मूल्य 200 रुपये प्रति क्विंटल रहा एवं अधिकतम मूल्य 1000 रुपये प्रति क्विंटल और औसत मूल्य 600 रुपये प्रति क्विंटल मिला। डिंडोरी में टमाटर मंडी में 220 क्विंटल टमाटर विक्रय हेतु आये। जिनका न्यूनतम मूल्य 100 रुपये प्रति क्विंटल रहा एवं अधिकतम मूल्य 355 रुपये प्रति क्विंटल वहीं औसत मूल्य 275 रुपये प्रति क्विंटल था।